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Sunday, 30 July 2017

who is Carpenter ? (बढ़ई कौन है ?)


 बढ़ई:-



लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई या 'काष्ठकार' (Carpenter) कहते हैं। इस आधुनिक समाज के विकास का श्रेय इस जाति को जाता है।इनकी संख्या भारत मे लगभग 6% से 8 % के आस पास है घर मकान आफिस नयी शोध सभी इसी समाज कि देन है, लेकिन राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव मे पतन होता गया। यह जाति प्राचीन काल से समाज के प्रमुख अंग रहे हैं। घर की आवश्यक काष्ठ की वस्तुएँ बढ़ई जाति द्वारा बनाई जाती हैं। इन वस्तुओं में चारपाई, तख्त, पीढ़ा, कुर्सी, मचिया, आलमारी, हल, चौकठ, बाजू, खिड़की, दरवाजे तथा घर में लगने वाली कड़ियाँ, समाज कि हर एक अधुनिक बस्तु इसी समाज का देन है।

बढई एक ऐसी जाती है जो देश के हर प्रदेशों जिलो गांव शहर में बहुसंख्यक जाति के रूप मे निवास करते है। , इनकी संख्या देश भारत मे लगभग 6% से 8 % के आस पास है। बढई जाति के लोग रोजगार मे विश्वास करते हैं ,और अपने साथ अनेकों समाज, समुदाय को भी रोजगार उपलब्ध कराते हैं। अविष्कारों व रचनाओ के धनी है बढई जाति (समाज ) जिनको बढई समाज के नामों से पुकारा जाता है। दुनिया में इस समाज के अविष्कार का ही हर एक आदमी नकल करके ही कला को हासिल करता है। बढई समाज के लोगो और घर में जन्मे बच्चे , बच्चे तक को पैदाइशी इंजीनियर कहा जाता है। बढई समाज जन्मजात ही अविष्कारक है, 5000' वर्ष पूर्व मे यही जाती ब्राहमण होती थी। लेकिन उस समय कुछ शत्रुओ के छल कपट से इस जाति के साथ बहुत बडा धोखा देने के बाद। अत्याचार और नाईंसाफी करके राज्यों से जंगल में रहने को मजबूर कर दिया गया। जिससे बाद में रोजी रोटी चलाने के लिए जंगलो से लकडिय़ों के सहारे अपनी जीवन पोषण करने पर मजबुर हो गये।

इनको अलग अलग प्रदेश में अलग अलग नामों से जाना जाता है 

उत्तर प्रदेश में बढई, शर्मा, 

बिहार, बढई, शर्मा, मिस्त्री 

झारखंड में ठाकुर, राणा, शर्मा 

उत्तराखंड में धीमान 

हरियाणा में जांगडा, धीमान

पंजाब में रामगढीया, तेहखान, 

राजस्थान में जांगडा , जंगिड 

गुजरात में मिस्त्री, गजजर 

मध्यप्रदेश में गौड, मालवीया, सुथार, बढई, विश्वकर्मा 

हिमाचल प्रदेश में धीमान 

उडीसा में मोहराना, महराना 

महाराष्ट्र में सुतार, सुथार, बढई, 

छत्तीसगढ में विश्वकर्मा , शर्मा, बढई 

नेपाल में शर्मा , बढई 

कोलकाता में शर्मा , बढई 

इत्यादि के नामों से जाने जाते हैं।